कोरोना से लड़ाई में इस समय संदिग्धों की तलाश सबसे अहम हो गई है। इसका कारण यह है कि अगर एक भी कोरोना संक्रमित समाज के किसी भी हिस्से में रह गया तो उससे हजारों-लाखों लोग इस महामारी का शिकार हो जाएंगे। ज्यादातर देश इस काम के लिए तकनीक का सहारा ले रहे हैं। कहीं ऐप से तलाश हो रही है तो कहीं सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन, रिस्ट बैंड और मोबाइल लोकेशन से निगरानी रखी जा रही है। जहां इन तकनीक का इस्तेमाल हुआ, उन देशों में कोरोना संक्रमण रोकने में काफी मदद मिली।
वहीं, भारत सरकार ने कोरोना संक्रमित लोगों की तलाश के लिए ‘आयोग्य सेतु' एप बनाया है जो मोबाइल नंबर, ब्लूटूथ व लोकेशन से बताता है कि आप जोखिम में हैं या नहीं। साथ ही, विमानों और रेलगाड़ियों में आरक्षण के समय यात्रियों ने जो जानकारी दी है, उसके जरिए पड़ताल की जा रही है।
इसके अलावा केरल में मोबाइल फोन लोकेशन, टेलीफोन कॉल रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज से संदिग्धों को तलाशा जा रहा है। महाराष्ट्र में क्वारंटाइन में गए लोगों के हाथों पर स्टैंप लगाए जा रहे ताकि उनकी पहचान आसानी से हो सके। आंध्र प्रदेश में मोबाइल ट्रैकिंग एप के जरिए क्वारंटाइन में रखे गए लोगों के लोकेशन की जानकारी ली जा रही है। पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक और गोवा ने भी ऐसे एप लांच किए हैं।
अमेरिका में लोकेशन के जरिए पहचान की कोशिश ट्रंप सरकार ने हालात भयावह होते देख अब गूगल, फेसबुक और अन्य टेक कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है ताकि मोबाइल लोकेशन और सोशल मीडिया से उनकी गतिविधियों की पड़ताल की जा सके।